Medha Patkar एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने “नर्मदा बचाओ आंदोलन” के ज़रिए देशभर में विस्थापितों और पर्यावरण सुरक्षा की आवाज़ बुलंद की। हाल ही में वह एक बार फिर चर्चा में आईं जब बीजेपी के 11 सांसदों ने उन्हें ‘राष्ट्र विरोधी’ बताते हुए संसदीय समिति की बैठक का वॉकआउट किया। तो आखिर कौन हैं मेधा पाटकर और क्यों बन जाती हैं वो विवाद का केंद्र? आइए जानते हैं।
मेधा पाटकर का परिचय (Medha Patkar Biography in Hindi)
- पूरा नाम: मेधा ताई पाटकर
- जन्म: 1 दिसंबर 1954, मुंबई, महाराष्ट्र
- शिक्षा: बीएससी के बाद टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) से सामाजिक कार्य में मास्टर्स
उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक कार्यकर्ता थे, जबकि मां एक स्कूल प्रिंसिपल थीं। बचपन से ही उन्हें सामाजिक न्याय और बदलाव की प्रेरणा अपने घर से मिली।
नर्मदा बचाओ आंदोलन से पहचान
नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) मेधा पाटकर का सबसे बड़ा सामाजिक अभियान माना जाता है।
यह आंदोलन नर्मदा नदी पर बनने वाले बड़े बांधों के खिलाफ था, जो हजारों परिवारों को विस्थापित करने वाला था।
आंदोलन के मुख्य मुद्दे:
- प्रभावित ग्रामीणों और आदिवासियों के लिए मुआवज़ा और पुनर्वास की मांग
- पर्यावरणीय नुकसान को उजागर करना
- सरकार और विश्व बैंक के विकास मॉडल पर सवाल उठाना
इस आंदोलन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें एक मजबूत सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्थापित किया।
पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय पहचान
- Right Livelihood Award (1991) – जिसे वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार कहा जाता है
- TIME मैगज़ीन द्वारा “Earth Hero”
- कई राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं पर्यावरण मंचों पर सम्मानित
राजनीति में प्रवेश
2014 में मेधा पाटकर ने आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर उत्तर-पूर्वी मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा था।
हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को राजनीति से ज़्यादा जनआंदोलन का हिस्सा बताया है।
विवादों में क्यों आईं मेधा पाटकर?
2025 में एक संसदीय समिति की बैठक के दौरान बीजेपी के 11 सांसदों ने वॉकआउट किया।
उनका कहना था कि मेधा पाटकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं।
सांसदों के आरोप:
- वह हमेशा सरकार की विकास योजनाओं का विरोध करती हैं
- वे जल संसाधनों, बांधों और औद्योगिक विकास के खिलाफ अभियान चलाती हैं
- उनके दृष्टिकोण से “विकास विरोधी मानसिकता” झलकती है
हालांकि, मेधा पाटकर ने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनका संघर्ष जनहित और पर्यावरण सुरक्षा के लिए है।
प्रमुख आंदोलन
आंदोलन का नाम | उद्देश्य |
---|---|
नर्मदा बचाओ आंदोलन | विस्थापन विरोध, पुनर्वास |
आदिवासी अधिकार अभियान | वन भूमि और संसाधनों पर अधिकार |
मजदूरों और दलितों के अधिकार | सामाजिक और आर्थिक न्याय |
शहरी झुग्गियों के अधिकार | बस्ती पुनर्वास और जमीन पर अधिकार |
निष्कर्ष: क्यों महत्वपूर्ण हैं मेधा पाटकर?
मेधा पाटकर केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं — जो विकास के मानवीय पहलू की वकालत करती हैं।
उनके आलोचक उन्हें अड़चन मानते हैं, लेकिन उनके समर्थक उन्हें ‘जनता की आवाज़’ कहते हैं।
चाहे सहमत हों या असहमत, मेधा पाटकर का योगदान भारत की लोकतांत्रिक और सामाजिक चेतना के लिए अनदेखा नहीं किया जा सकता।
स्रोत:
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